मुरादाबाद २८ फरवरी २०१४ (सू0वि0)
सर्किट हाउस में मानव बाघ संघर्ष विषय पर
वन विभाग द्वारा आयोजित एक दिवसीय गोष्ठी को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि अपर
महा निदेशक प्रोजेक्ट टाइगर एवं सदस्य सचिव एन0टी0सी0ए0 डा0 राजेश गोपाल ने बाघ
द्वारा आबादी में आकर मानव जीवन को नुक्सान पहुंचाने से बचाने के लिए अपने
सुझावों में कहा कि अमानगढ़ के जंगल में बाघ/तेंदुआ/शेर आदि सहित जंगली जानवरों की
ट्रेकिंग के लिए 50 कैमरे लगाये जायेंगे और जनपद में वेटेनरी डाक्टरों को
प्रशिक्षित कर ट्रेकुलाइजर टीमों का गठन किया जायेगा इसके अलावा मुरादाबाद अथवा
बिजनौर में रेस्क्यू सेंटर की स्थापना पर भी विचार किया जायेगा। उन्होने कहा
कि कार्ययोजना को क्रियान्वित करने के लिए 3.50 करोड़ रू0 की धनराशि आवंटित की
जायेगी।
डा0 राजेश ने कहा कि जंगल के पास में जिन
किसानों के खेत हैं उनसे अनुरोध किया जायेगा और समझाया जायेगा कि वे जंगल से लगी
हुई खेती की जमीन में गन्ना न बोयें और यदि पेचिज में गन्ना बोया भी जाता है तो
समय से उसका कटान सुनिश्चित कर लिया जाये। जंगल में बाघों के मुवमेंट पर नजर रखी
जायेगी और थर्मल सेटेलाइट कैमरे लगाने के साथ साथ उनके रहने के स्थानों की मैपिंग
भी की जायेगी और यदि नियमानुसार जंगल में निश्चित क्षेत्र में बाघों की आबादी ज्यादा
हो जाती है तो उन्हें दूसरे जंगलों में छोड़ा जायेगा।
उन्होने कहा कि नजीबाबाद के जंगल को बफर
बनाया जायेगा और दीर्घ कालीन योजना बनायी जायेगी। उन्होने कहा कि टेक्नीकल टीमें
जल्दी ही यहां आ जायेगीं और अपना काम प्रारंभ कर दें गी। उन्होने बताया कि तमाम
ऐसे अभ्यारण है जो आबादी से लगे हैं वहां से जंगली जानवर आबादी में आने जाने के
अभ्यस्त है । कुछ बुढ़े बाघ भी बाहर आ जाते हैं क्योंकि जंगलों से नदियां नाले, सड़कें, सूखे नाले आबादी की ओर आते हैं यह जानवर उनके सहारे सहारे बाहर आ जाते
हैं । 800 से 1200 वर्ग कि0मी0 क्षेत्र में 65 से 70 तक बाघ होते हैं । जहां बाघों
की ब्रीडिंग हो रही हो उन स्थलों पर भी निगाह रखी जाये क्योकि वहां से भी एक से
ढेड़ साल के बीच में बाघों की संख्या बड़ेगी और बाघ बाहर आ सकते है। कभी कभी बाघ
जंगली सूअर या नील गाय का पीछा करते करते भी जंगल से बाहर निकल आते हैं । जंगलों
के सीमा पर सोलर फैसिंग लगायी जानी चाहिए ।
उन्होने कहा कि जो पिजड़े बाघ को पकड़ने
के लिए लगाये जायेंगे वह अच्छे होंगे ताकि उन्हें पकड़ने और कहीं छोड़ने में
परेशानी न हो । उन्होने कहा कि जैसे ही कोई जानवर कैमरे के आगे से गुजरेगा कैमरा
अपने आप चल पड़ेगा और उसकी तस्वीर उसमें मयसमय के आ जायेगी। कुछ स्थानों पर एन्ड्रोइड
फोन के जरिये भी एर्ल्ट प्राप्त हो रही है। यह व्यवस्था जंगलों में बनायी गयी
है। जंगल और आबादी के लिंकेज पर भी नजर रखी जायेगी और जंगलों के समीप बसी ग्राम
पंचायतों को प्रशिक्षिण भी दिया जायेगा । उन्होने कहा कि प्रभागीय वनाधिकारी के
स्तर पर प्रतिमाह बैठक होगी और नेशनल टाइगर एथोरिटी को प्रत्येक तीमाही पर
रिपोर्ट दी जायेगी। उन्होने कहा कि सुरक्षा गश्ती बढ़ाने के साथ साथ सोलर फेसिंग
में इजाफा किया जायेगा।
गोष्ठी के अध्यक्ष आयुक्त मुरादाबाद
मंडल मुरादाबाद शिव शंकर सिंह ने 24 दिसम्बर 13 से लेकर 26 फरवरी 2014 के बीच
संभल, मुरादाबाद, अमरोहा व बिजनौर जनपद में हुई बाघ के
हमले और हमले में म़ृत परिवारों की दर्दनाक दास्तान गोष्ठी में रखी । उन्होने
कहा कि जो भी मदद इन परिवारों की,
हो सकती थी वह की गयी है। वन विभाग अपने कार्यों के प्रति एलर्ट हुआ है । उन्होने
कहा कि हर घटना के बाद अख्बारों के जरिये मीडिया के जरिये व कर्मचारियों के जरिये
यह एलर्ट जारी किया गया कि लोग घरों से अकेले बाहर न निकले झुडं में निकले और रात
होने से पहले घर में आ जायें लेकिन लोगों ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया बाघ
द्वारा जितनी भी घटनाएं मुरादाबाद में हुई हैं वे सब अकेले ही थे। अत: लोगों को
जागरूक करने के लिए कोई न कोई प्रभावी तरिका भी खोजना होगा। लोगों में आक्रोश भी
है अत- प्रभावी कार्यवाही होनी चाहिए।
जिलाधिकारी श्री संजय कुमार ने थर्मल
सेटेलाइट कैमरे लगाये जाने के साथ साथ कतरनिया घाट, पीलीभीत,
दुध्वा पार्क की तरह मुरादाबाद मंडल में भी क्रापिंग पैटर्न में परिवर्तन लाने का
सुझाव दिया। उन्होने कहा कि कैमरा ट्रेपिंग का रिजल्ट अच्छा है। उन्होने कहा
कि टाइगर पैट्रोल फोर्स व टाइगर टास्क फोर्स को सक्रिय करें और ट्रेनिंग के जरिये
वन विभाग के कर्मचारियों को ट्रेंड करने के साथ साथ कर्मचारियों को वर्दी, टार्च, सर्च लाइट,
कैमरे, छाता, रेनकोट जैसी सामान्य चीजे भी मुहईया
करानी जरूरी हैं इसके अलावा उनके वेतन पर भी ध्यान देना आवश्यक है । वन विभाग को
क्विक रिऐक्श्न टीम का गठन भी करना पड़ेगा ताकि प्रशासन के साथ मौके पर तुंरत जाकर
कार्यवाही कर सकें।
मुख्य संरक्षक श्री एम0पी0 सिंह ने आभार
प्रकट करते हुए कहा कि सबसे ज्यादा दबाव बिजनौर जनपद पर रहा है। सीमित संसाधनों
के बावजूद वन विभाग ने अपनी पूरी शक्ति के साथ काम किया है। भविष्य में अच्छा
परिणाम सामने आयेगा।
श्री संजय नेगी आई0जी0 एन0टी0सी0ए0 ने भी
कहा कि मुरादाबाद में जिला प्रशासन संवेदनशील है इसलिए वन विभाग को काम करने में
आसानी रही है। उन्होने कहा कि जानवरों को पकड़ने के लिए जो भी पिंजड़े लगाये
जायें वह उच्च कोटि के होने चाहिए ।
गोष्ठी का संचालन वन संरक्षक श्री कमलेश कुमार
ने किया। गोष्ठी में ए0आई0जी0 एन0टी0सी0ए0 श्री संजय कुमार, जिलाधिकारी बिजनौर श्री भुपेन्द्र एस0
चौधरी, अपर जिलाधिकारी
अमरोहा श्री रणविजय सिंह,
अपर जिलाधिकारी प्रशासन श्री महेन्द्र वर्मा, एसडीएम कांठ श्री आन्द्रा वामसी, एसडीएम बिलारी श्री मुकेश चन्द्र सहित अन्य जनपदों के उप
जिलाधिकारियों और वन विभाग के क्षेत्राधिकारी वन, फोरेस्ट रेन्जर आदि सहित अन्य अधिकारियों ने भाग लिया।
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जिला सूचना अधिकारी, मुरादाबाद।
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